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लोकसभा चुनाव में उन्नाव सीट से इस बार किसको उतारने को सोच रही है भाजपा ? साक्षी महाराज या फिर कोई नया चेहरा ?

अभी हाल की खबरों की माने तो उन्नाव सीट से सांसद साक्षी महाराज का बड़ा बयान सामने देखने को मिला था जिसमे उनके द्वारा कांग्रेस को बड़ी चेतावनी दी गयी.

·        उत्तर प्रदेश में उन्नाव से भाजपा के फायर ब्रांड सांसद साक्षी महाराज ने प्रियंका और राहुल गांधी को खुली चुनौती दी है. साक्षी महाराज ने दोनों को निशाने पर लेते हुए कहा, “इन भाई-बहन में हिम्मत है तो उन्नाव से चुनाव लड़कर दिखाएं.

·        साक्षी महाराज ने उन्नाव में जनता को 'सरैया वाटिका' समर्पित करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला था . उन्होंने कहा, "प्रियंका गांधी या फिर राहुल गांधी किसी में भी हिम्मत हो, तो वह मुझसे उन्नाव में आकर चुनाव लड़ले."

·        इस बयान में उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी को खुली चुनौती देकर वक्तव्य किया है।

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·        मुगलों के इतिहास को हटाने पर हो रहे विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए साक्षी महाराज ने कहा, “किले मुगलों के नहीं है, कुतुब मीनार मुगलों की नहीं है, ताजमहल मुगलों का नहीं है, हमारे मंदिरों को तोड़कर उसका रूप दे दिया गया. सुधार तो हमें करना ही पड़ेगा.

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·        अपने बयानों और तेवरों के लिए चर्चा में रहने वाले बीजेपी सांसद साक्षी चर्चा में बने रहते है, बेटी के लिए न्याय मांग रहे परिवार ने सांसद के दरवाजे पर आकर ही जान देने की बात कही तो साक्षी महाराज ने कहा कि यहां मत मरो, मरना है तो डीएम के यहां जाकर मरो, ऐसे फरियादियों के लिए ब्यान सामने देखने को मिलते रहते है

जानिए कितने क्रिमिनल केस हैं हिंदुओं को नसीहत देने वाले साक्षी महाराज पर

कभी मदरसों पर जुबानी बमबारी, तो कभी मुस्लिमों पर गद्दार होने का आरोप लगाकर अकसर विवदों में रहने वाले उन्‍नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज का अगर बीता पल देखें तो किसी आपराधिक छवि वाले इंसान से कम नहीं है। जी हां साक्षी महाराज के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने, धोखाधड़ी, हत्‍या, डकैती और मानहानि जैसे आधा दर्जन से ज्‍यादा मुकदमें दर्ज हैं। आपको बता दें कि साक्षी महाराज अचानक सुर्खियों में इसलिए आ गये हैं क्‍योंकि उन्‍होंने संत समागम में एक विवादास्‍पद बयान दिया है।

अपने बयान में उन्‍होंने कहा है कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अब हिंदू महिलाओं को कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए। इतना ही नहीं लोगों की भावनाओं का मजाक उड़ाते हुए साक्षी महाराज ने कहा है कि 'भारत में लोग किसी की भी पूजा कर सकते हैं। लोगों को तो कुत्तों और गधों में भी भगवान दिखते हैं। तो आईए आज हिंदुओं को नसीहत देने वाले साक्षी महाराज के क्रिमिनल हिस्‍ट्री के बारे में चर्चा करते हैं।

·        साक्षी महाराज पर आईपीसी की धारा 506 के खिलाफ मुकदमें दर्ज हैं। इस धारा के दायरे में मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने जैसे अपराध आते हैं।

·        साक्षी महाराज पर धोखाधड़ी करना और बेइमानी से संपत्ति हड़पने के मुकदमे दर्ज हैं। यह अपराध आईपीसी की धारा 420 के तहत आता है।

·        भाजपा सांसद साक्षी महाराज पर जमीन संबंधित धोखाधड़ी, वसीहत में छेड़खानी के मामले दर्ज हैं।

·        साक्षी महाराज पर धारा 153 A के तहत दो समुदाओं के बीच धार्मिंक दंगे भड़काने और महौल खराब करने का भी आपराधिक केस दर्ज हैं।

·        हिदंओं को नसीहत देने वाले साक्षी महाराज पर हत्‍या का मुकदमा दर्ज है।

·        साक्षी महाराज पर सरकारी काम में दखलअंदाजी और सरकारी कर्मचारी के उसके काम में दखलअंदाजी करने का भी आपराधिक मामला दर्ज है।

·        साक्षी महाराज पर धार्मिक स्‍थल को नुकसाना पहुंचाने और धर्म विशेष का अपमान करने का भी मुकदमा दर्ज है।

·        हत्‍या के साथ ही साथ साक्षी महाराज पर लूट और डकैत का भी केस दर्ज है। साक्षी महाराज पर अंर्तराष्‍ट्रीय स्‍तर पर शांती भंग करने और ऐसा करने के लिए उकसाने का भी मुकदमा दर्ज है।

·        साक्षी महाराज पर दंगा भड़कने जैसा जघन्‍य अपराध का केस भी दर्ज हो चुका है।

 

बलात्कार के लगे हैं आरोप

साल 2000 में, एटा में एक कॉलेज के प्राचार्य ने उनके खिलाफ एक पुलिस शिकायत दर्ज की थी जिसमें भाजपा सांसद और उनके दो भतीजों पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था। तब साक्षी महाराज बलात्कार के आरोप में एक महीना तिहाड़ जेल में रहे लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।

दस साल पहले फर्रुखाबाद में उनके खिलाफ मैनपुरी की रहने वाली आश्रम की एक शिष्या ने एक और बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी। जब मामला अदालत में पहुंचा तो पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की कि कोई बलात्कार नहीं हुआ था।

सम्पूर्ण वख्यान के साथ प्रदर्शित

स्वामी सचिदानंद हरि, जिन्हें साक्षी महाराज के नाम से जाना जाता है, के यूपी के एटा में बड़ी संख्या में अनुयायी हैं, जहां से वे आते हैं। वह राज्य भर में आश्रमों और स्कूलों का एक बड़ा नेटवर्क भी चलाते हैं और अपने शिष्यों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।

उन्होंने 1990 के दशक में भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया, फर्रुखाबाद से दो बार लोकसभा के लिए चुने गए, समाजवादी पार्टी के प्रति निष्ठा बदल ली, फिर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की राष्ट्रीय क्रांति पार्टी में शामिल हो गए और अंत में वापस भाजपा में चले गए। 2000 में, एटा में एक कॉलेज प्रिंसिपल ने महाराज और उनके दो भतीजों पर उसके साथ सामूहिक बलात्कार करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई । 

महिला और उसके पुरुष सहयोगी पर बाबा द्वारा कथित तौर पर तब हमला किया गया जब वे एटा से आगरा जा रहे थे। बलात्कार के आरोप में महाराज को एक महीना तिहाड़ जेल में बिताना पड़ा, लेकिन आख़िरकार उन्हें छोड़ दिया गया। हालाँकि, दस साल पहले फर्रुखाबाद में उनके आश्रम की एक शिष्या ने उनके खिलाफ बलात्कार की एक और शिकायत दर्ज कराई थी। हिंदी प्रकाशन युवा पीढी के फर्रुखाबाद स्थित संपादक योगेन्द्र सिंह यादव ने कहा, "महिला मैनपुरी की है और अब भी कहती है कि साक्षी महाराज ने उसका फायदा उठाया और आश्रम में उसके साथ बलात्कार किया। " "हालांकि, जब मामला अदालत में गया, तो पुलिस ने एक रिपोर्ट दर्ज की जिसमें कहा गया कि कोई बलात्कार नहीं हुआ था।" 

अधिक आरोप 1997 में अधिक सनसनीखेज सुर्खियाँ बनीं, जब फर्रुखाबाद के मौजूदा सांसद के रूप में, साक्षी महाराज का नाम भाजपा के वरिष्ठ नेता ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या में शामिल लोगों में से एक के रूप में लिया गया था। जांच के बाद के चरण में महाराज का नाम सामने आया, लेकिन अंततः उन्हें हत्या के लिए क्लीन चिट दे दी गई। हाल ही में, अप्रैल 2013 में, महाराज और उनके भाई पर आरोप लगाया गया था.

यूपी राज्य महिला आयोग की सदस्य सुजाता वर्मा की हत्या का. उन्हें एटा आश्रम में किसी ने बहुत करीब से गोली मार दी थी, जहां वह उस दिन गई थीं।

एटा के पत्रकार मोहम्मद आरिफ खान ने कहा, "सुजाता वर्मा दावा करती थीं कि साक्षी महाराज ने उन्हें बेटी के रूप में गोद लिया था और उनके बीच संपत्ति को लेकर विवाद था।" "वर्मा ने उनके आश्रम के एक हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था और लगभग दो महीने बाद, उनकी हत्या कर दी गई।"

हत्या के तुरंत बाद, महाराज भाग गया था। वर्मा के बेटे ने दावा किया कि बाबा ने पहले भी उनकी मां को धमकी दी थी। बाद में महाराज ने अदालत में खुद को निर्दोष बताया और उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया।

यादव का दावा है कि महाराज का चुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग का भी इतिहास रहा है। उन्होंने कहा, "मुझे याद है कि दस साल पहले लोकसभा चुनाव के दौरान वह बूथों पर कब्जा करने के लिए वाहनों और सशस्त्र गार्डों के काफिले के साथ फर्रुखाबाद में घूम रहे थे।" "एक समय पर, उनके हथियार जब्त कर लिए गए और पुलिस को सौंप दिए गए, लेकिन अंततः उन्होंने सीट जीत ली।"

 

सभी आकड़ें प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों के माध्यम से लेख में प्रदर्शित है जिनकी सत्यता पूर्ण रूप से सत्य पायी गयी है, इस लेख से संसथान का कोई लेना देना है, आगामी लोकसभा चुनाव में आम लोगो के बीच सच को पेश करना एक पत्रकार सर्वाधिक अधिकार है