रॉयटर्स का X अकाउंट भारत में बंद, सरकार ने दी सफाई


भारत में डिजिटल मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर एक नई बहस तब छिड़ गई जब विश्व की सबसे विश्वसनीय समाचार एजेंसियों में से एक, रॉयटर्स का X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट भारत में उपयोगकर्ताओं के लिए अवरुद्ध पाया गया। जब लोगों ने रॉयटर्स का अकाउंट खोलने की कोशिश की तो उन्हें ‘@Reuters’s account has been withheld in India’ का संदेश दिखाई दिया। इससे देश में मीडिया स्वतंत्रता और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए। इस खबर के सामने आते ही देश के पत्रकारिता जगत और सोशल मीडिया यूजर्स में हलचल मच गई। लोग जानना चाह रहे थे कि क्या यह भारत सरकार की ओर से कोई सेंसरशिप है या फिर तकनीकी वजहों से हुआ कोई स्वतः कदम।


ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ: क्या रॉयटर्स तब निशाने पर था?

सरकार ने इस मुद्दे पर तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए स्थिति को स्पष्ट किया कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की ओर से X को ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया था, जिससे रॉयटर्स का अकाउंट भारत में ब्लॉक किया जाए। सरकार के अनुसार, उन्होंने न तो कोई शिकायत भेजी और न ही इस प्रकार की कोई अनुरोध किया गया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह प्रतिबंध संभवतः X की आंतरिक प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। दूसरी ओर, X की ओर से इस विषय पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है, जिससे यूजर्स के बीच भ्रम और भी बढ़ गया है। रॉयटर्स की तरफ से भी अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है, जो स्थिति को और अधिक अस्पष्ट बना रहा है।

यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब भारत में डिजिटल सेंसरशिप, सोशल मीडिया रेगुलेशन और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर पहले ही कई बहसें जारी हैं। यह मुद्दा केवल रॉयटर्स तक सीमित नहीं है बल्कि इससे जुड़ा बड़ा सवाल यह है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स किस हद तक पारदर्शिता बरतते हैं और सरकार के नाम पर किस प्रकार की कार्रवाई करते हैं। यह स्थिति एक बड़े खतरे की ओर इशारा करती है कि यदि बिना किसी सरकारी आदेश के भी वैश्विक मीडिया संस्थाओं के अकाउंट्स ब्लॉक हो सकते हैं, तो यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक चिंताजनक संकेत हो सकता है।

किन हैंडल्स को भारत में बंद किया गया है?

यह घटना डिजिटल युग में प्रेस स्वतंत्रता की स्थिति और सूचना प्रसारण की पारदर्शिता को लेकर हमारी जिम्मेदारियों की ओर इशारा करती है। यदि सचमुच रॉयटर्स का X हैंडल बिना किसी स्पष्ट कारण के भारत में ब्लॉक हुआ है, तो यह तकनीकी कंपनियों की जवाबदेही पर सवाल उठाता है। इससे पहले कि कोई गलत संदेश आम लोगों में जाए, यह जरूरी हो जाता है कि X जैसी कंपनियां इस तरह के निर्णयों पर खुलकर और पारदर्शिता के साथ सफाई दें। सरकार की ओर से भले ही किसी प्रकार का निर्देश नहीं आया हो, लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय समाचार संस्था के अकाउंट का भारत में बंद हो जाना अपने आप में बड़ा मुद्दा है। यह जरूरी है कि प्लेटफॉर्म्स और सरकार मिलकर इस पर स्पष्ट संवाद स्थापित करें ताकि डिजिटल स्पेस में विश्वास कायम रह सके और मीडिया स्वतंत्रता को कोई खतरा न हो।

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