बाँके बिहारी के दर्शन से शुरू होकर बिहार की बिजली पर पहुँची बहस: A.K. शर्मा ने वीडियो पर दी सफाई


रिपोर्टर: (प्रशांत तिवारी / क्राइम बीट)

एक वायरल वीडियो को लेकर राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। यूपी सरकार में मंत्री ए.के. शर्मा का एक बयान, जिसमें उन्होंने बिहार में बिजली व्यवस्था पर कटाक्ष किया था, अब चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इस वीडियो में मंत्री जी कहते सुनाई दिए थे – "अगर बिहार में लालटेन सत्ता में आई, तो न बिजली आएगी और न बिल आएगा।" इस कथन को लेकर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी, वहीं अब खुद ए.के. शर्मा ने मथुरा से स्पष्टीकरण जारी किया है।

मंत्री ए.के. शर्मा ने क्या कहा?
भीड़ में दिए गए बयान का पूरा वीडियो सामने न आने की बात कहते हुए मंत्री शर्मा ने बताया कि, "मेरे बयान को अधूरा दिखाकर भ्रम फैलाया जा रहा है। मैंने यह स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि बिहार में फिर से 'लालटेन युग' आता है, तो बिजली व्यवस्था चौपट हो जाएगी। न बिजली आएगी, न बिल आएगा। यह बयान मैंने सिर्फ उस काल्पनिक स्थिति में कहा था, जब राज्य में पिछली सरकार की वापसी हो।"

बाँके बिहारी मंदिर के दर्शन से जुड़ा था प्रसंग
अपने बयान के शुरुआती हिस्से में उन्होंने कहा था, "अब ये लोग बाँके बिहारी भगवान के दर्शन के मुद्दे पर हार गए तो बिहार की बिजली पर शुरू हो गए।" उन्होंने स्पष्ट किया कि उस समय उनका ध्यान भगवान बाँके बिहारी के दर्शन पर केंद्रित था और बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।

नीतीश कुमार की प्रशंसा में बोले मंत्री
विपक्ष की ओर से आई आलोचना के बाद ए.के. शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा, "वर्तमान में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में और नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में बिहार में बिजली, सड़क, शिक्षा और जनकल्याण के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्य हो रहे हैं। उन्होंने 125 यूनिट बिजली फ्री करने की घोषणा की है, जो यूपी में भी आंशिक रूप से लागू है।"

वायरल क्लिप पर ‘फुल वीडियो’ साझा किया
दुष्प्रचार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मंत्री ए.के. शर्मा ने अपनी संपूर्ण वीडियो क्लिप एक मीडिया चैनल को भेजी है और अनुरोध किया है कि इसे जनसामान्य तक पहुँचाया जाए ताकि तथ्यों को सही तरीके से देखा जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि उनके विरोधियों को भी यह वीडियो देखना चाहिए ताकि भ्रम की स्थिति ना बने।

राजनीति में बयान और भ्रम
यह घटना एक बार फिर इस बात को रेखांकित करती है कि सार्वजनिक मंचों पर दिए गए बयानों को संपूर्ण संदर्भ में देखना जरूरी है। सोशल मीडिया पर अधूरी जानकारी के आधार पर किए गए प्रचार से न केवल राजनीतिक माहौल खराब होता है, बल्कि जनमानस को भी भ्रमित किया जाता है।

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