प्रयागराज, झूसी; अघोषित बिजली कटौती से जीना मुश्किल: एक गंभीर समस्या...

ब्यूरो, विनीत द्विवेदी।

बिजली को लेकर टूट रहा लोगों के सब्र का बांध।


गंगापार, झूंसी! मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहरों को 24 घंटे, तहसीलों को 20 घंटे और गांवों को 18 घंटे बिजली देने का फरमान तो जारी किया हुआ है। लेकिन यह देखने वाला कोई नहीं है कि फरमान के मुताबिक लोगों को बिजली मिल रही है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस संबंध में कई बार खुले मंच से वादा किया है कि गांव में भी विद्युत आपूर्ति 18 घंटे की की जा रही है। लेकिन यहां पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आज के आधुनिक युग में बिजली हमारी जीवनरेखा बन चुकी है। चाहे घर हो, स्कूल, अस्पताल या उद्योग – हर क्षेत्र बिजली पर निर्भर है। ऐसे में अघोषित बिजली कटौती (अनशेड्यूल्ड पावर कट) आम नागरिकों के लिए एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। गर्मियों के इस तीव्र प्रकोप में जब तापमान 40 से 45 डिग्री के पार चला जाता है, तब बिजली का बार-बार और बिना सूचना के जाना आम जनता की परेशानियों को कई गुना बढ़ा देता है।

घरों की दिनचर्या अस्त-व्यस्त

अघोषित बिजली कटौती से सबसे अधिक प्रभावित आम लोग होते हैं। पंखे, कूलर और एसी जैसे साधनों का ठप्प हो जाना, बच्चों और बुजुर्गों के लिए असहनीय हो जाता है। पढ़ाई कर रहे छात्रों को रात में अंधेरे में पढ़ाई करनी पड़ती है या मोबाइल की रोशनी का सहारा लेना पड़ता है। छोटे बच्चों और बीमार व्यक्तियों की तकलीफें कई गुना बढ़ जाती हैं। पावर में जब भी सम्पर्क किया जाता है तो रटी-रटाई लाइन सुनाई जाती है कि ओवर लोड, मेन फॉल्ट बताकर कॉल कट कर दी जाती है। सवाल है कि जब ग्रामीण अंचल में 18 घँटे का रोस्टर है उसके बावजूद पर्याप्त बिजली आपूर्ति क्यों नहीं कराई जाती है। अगर गलती से बिजली आ भी गई तो हर घँटे चाहे 10 मिनट के लिए ही काटी जाए लेकिन कटना तय है।

व्यवसायों पर बुरा असर

बिजली कटौती केवल घरेलू जीवन ही नहीं, बल्कि छोटे व्यापारियों और दुकानदारों पर भी गहरा असर डालती है। इलेक्ट्रॉनिक्स, फोटोकॉपी, वेल्डिंग, सैलून जैसे व्यवसायों में बिजली जरूरी होती है। बिना सूचना के बिजली जाने से न केवल काम रुकता है बल्कि ग्राहकों की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है और आय में नुकसान होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों की बदतर स्थिति

ग्रामीण इलाकों में तो यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। वहां पहले ही सीमित समय के लिए बिजली मिलती है, उस पर अगर बिना सूचना के कटौती हो, तो सिंचाई, डेयरी और खेती-किसानी जैसे कार्य भी बाधित होते हैं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।

समाधान क्या हो सकता है?

सरकार और बिजली विभाग को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए। नियमित और पारदर्शी बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। स्मार्ट ग्रिड तकनीक, समय से मरम्मत कार्य, और बिजली कटौती की पूर्व सूचना देने वाली प्रणाली को मजबूत करना होगा। साथ ही, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत जैसे सौर ऊर्जा को बढ़ावा देकर भी इस संकट को कम किया जा सकता है।

निष्कर्ष

बिजली कटौती एक तकनीकी या प्रबंधन संबंधी चुनौती हो सकती है, लेकिन जब यह बिना सूचना के बार-बार होती है, तो यह आम जनता के लिए यातना बन जाती है। एक जागरूक प्रशासन और तकनीकी सुदृढ़ता से ही इस समस्या को हल किया जा सकता है। नागरिकों को भी बिजली के विवेकपूर्ण उपयोग और संरक्षण में योगदान देना होगा, ताकि हम सभी मिलकर एक रोशन और सुचारू जीवन की ओर बढ़ सकें।

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