ब्यूरो रिपोर्ट, विनीत द्विवेदी
सिखो के पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत को नमन, गुरु का मीठा ठंडा जल जगह-जगह होगा वितरित।
प्रयागराज! सिखो के पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत को नमन करते हुए अलोपीबाग गुरुद्वारे सहित विश्व भर के गुरुद्वारों में पिछले कई दिनों से "सुखमणि साहिब का पाठ" निरंतर संगत द्वारा हो रहा है जिसकी संपूर्णता 30 मई को हो रही है।अलोपीबाग गुरुद्वारे के प्रधान सेवादार परमजीत सिंह बग्गा ने बताया कि सर्वप्रथम श्री अखंड पाठ साहिब की संपूर्णता के साथ ही खुले दीवान हॉल में रागी जत्थों द्वारा शब्द कीर्तन,गुरु इतिहास,अरदास,हुक्मनामा उपरांत मीठा ठंडे जल सहित गुरु का लंगर अटूट वितरित किया जाएगा।
परमजीत सिंह बग्गा ने कहा कि सिख पंथ का वैसे तो पूरा इतिहास ही शहादतों से भरा है पर इसकी शुरुआत पांचवे सिख गुरु अर्जुन देव जी से हुई गुरु अर्जुन देव जी ने "साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी" की संपादना की।
बादशाह अकबर के देहांत के बाद जहांगीर दिल्ली का शासक बना जिसने कट्टटरपंन की सारी हदें पार कर दी।अपने धर्म के अलावा उसे और कोई धर्म पसंद नहीं था गुरु जी के धार्मिक और सामाजिक कार्य से बढ़ती लोकप्रियता से ज्वलित होकर बादशाह जहांगीर के आदेश पर 30 मई 1606 ई को लाहौर में जालिमों ने गुरु जी को तपते हुए तवे पर बिठाकर ऊपर से गर्म रेत उनके सिर पर डाला और तब तक डालते रहे जब तक गुरु जी शहीद नहीं हो गए।
भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र,क्षेत्रीय उपाध्याय सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि गुरुजी की शहादत के बाद तो सिख पंथ में शहादतों की लड़ी सी लग गई,गुरु अर्जुन देव जी तपते हुए तवे पर ऐसे बैठे थे मानो किसी तख्त पर बैठे हो,उस समय गुरु जी ने जो पंक्ति कहीं‘तेरा कीया मीठा लागै॥ हरि नामु पदार्थ नानक मांगै॥’
सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि पंचम पातशाह को शांति का पुंज,शहीदों का सरताज कहा जाता है। गुरु जी द्वारा सुखमनी साहिब वाणी का उच्चारण किया गया जो कि गुरु जी की अमर वाणी है सुखमनी भाव सभी सुखों की मणि जिसके पाठ करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।जपिओ जिन अर्जुनदेव गुरू,फिर संकट जोन गर्भ न आयो..।।
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