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भैंसों की लाशों पर चमक रहा “AOV Exports Pvt. Ltd.” का काला कारोबार! प्रशासन बना मौन दर्शक


उन्नाव:
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की धरती आज कराह रही है। वजह? यहां की कुख्यात अरोरा फैक्ट्री — यानी AOV Exports Pvt. Ltd. में खुलेआम पशु क्रूरता का नंगा नाच हो रहा है। नर और मादा दोनों भैंसों को धड़ल्ले से ट्रकों में ठूंस-ठूंस कर लाया जा रहा है। मकसद एक ही — कत्ल, और फिर विदेशों में उनके मांस का निर्यात!

लेकिन सबसे बड़ा सवाल — क्या शासन-प्रशासन अंधा है या इस काले कारोबार का साझेदार?

ग्राउंड रिपोर्ट्स और स्थानीय सूत्रों की मानें, तो फैक्ट्री में पशुओं को काटने से पहले किसी भी मानवीय या कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता। भैंसें गर्भवती हैं या दूध दे रही — इससे फर्क नहीं पड़ता। यहां सिर्फ एक ही चीज़ मायने रखती है — "कितना किलो मांस निकलेगा?"

पशु क्रूरता अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, और प्रशासन जानकर भी आंखें मूंदे बैठा है। AOV Exports Pvt. Ltd. को मानो शासन का वरदहस्त प्राप्त हो — वरना रोज़ाना दर्जनों ट्रकों में भरकर आने वाले जानवरों की जांच आखिर कौन रोक रहा है?

जहां एक तरफ देश में गौवंश संरक्षण के नाम पर सियासत गर्म रहती है, वहीं उन्नाव की इस फैक्ट्री में भैंसों का कत्ल सरकारी मौन की छाया में बेधड़क जारी है।

“कत्लखाने में इंसानियत भी दम तोड़ चुकी है”

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भैंसों को बिना बेहोश किए सीधे काटा जाता है। मादा पशु दर्द से तड़पती हैं, लेकिन फैक्ट्री के अंदर संवेदना की कोई जगह नहीं। ये कोई आम बूचड़खाना नहीं, बल्कि एक "मौत का कारखाना" है — जहां हर दिन जानवरों की चीखें प्रशासन की नाकामी का सबूत बनती जा रही हैं।

कानून को कुचलती “निर्यात नीति”

AOV Exports Pvt. Ltd. के नाम पर यह कत्लखाना पशुओं के मांस को विदेशों में भेजने की आड़ में लाखों का मुनाफा कमा रहा है। लेकिन क्या ये मुनाफा उन निरीह जानवरों की जान से बड़ा है? क्या यही है “नया भारत” जहां पशुओं के अधिकारों की कोई कीमत नहीं?

चुप क्यों है शासन?

स पूरे मामले में सबसे शर्मनाक बात यह है कि स्थानीय प्रशासन, पुलिस और पशुपालन विभाग को सब कुछ पता है — लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती आवाज उठाने की। वजह साफ है — पैसे की ताकत और राजनीतिक सांठगांठ

रिपोर्ट: प्रशांत त्रिपाठी

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