दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर को लिखी चिट्ठी में बिधूड़ी पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने लिखा- मेरे लिए भड़वा, कटवा, मुल्ला उग्रवादी और आतंकवादी जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए।
लोकसभा स्पीकर ने बिधूड़ी के इन शब्दों को कार्रवाई से हटा लिया, लेकिन उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। दानिश अली ने कहा कि सरकार ने पिछले ही सत्र में विपक्ष के नेता को छोटी सी बात के लिए निलंबित करवा दिया था, जबकि बिधूड़ी तो गालियां दे रहे हैं।
सवाल 1: भारत की संसद में किसी के खिलाफ इतनी अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर भी केस क्यों नहीं होता?
संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत भारत में संसद में कही गई किसी भी बात के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। यानी सदन में कही गई किसी भी बात को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सांसदों को संसद में कुछ भी बाेलने की छूट मिली हुई है।
एक सांसद जो कुछ भी कहता है वो लोकसभा में प्रोसीजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस के रूल 380 के तहत स्पीकर के कंट्रोल में होता है। यानी संसद में कोई सांसद असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करता है तो उस पर स्पीकर को ही एक्शन लेने का अधिकार है। नियम 373 के तहत अध्यक्ष किसी सदस्य के आचरण में गड़बड़ी पाए जाने पर उसे तुरंत सदन से हटने का निर्देश दे सकता है।
सवाल-2: लोकसभा स्पीकर के पास क्या अधिकार होते हैं और वो किस नियम के तहत सांसदों पर कितनी कार्रवाई कर सकते हैं?
जिस लोकसभा की कार्यवाही को आप टीवी में देखते हैं उसके लिए नियमों की पूरी एक किताब है। सदन को इसी रूल बुक के जरिए चलाया जाता है। इसी बुक के रूल 373 के तहत यदि लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्रवाई बाधित कर रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकता है, या बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी सस्पेंड कर सकते हैं।
वहीं इससे ज्यादा अड़ियल सदस्यों से निपटने के लिए स्पीकर रूल 374 और 374 ए के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। लोकसभा स्पीकर उन सांसदों के नाम का ऐलान कर सकते हैं, जिसने आसन की मर्यादा तोड़ी हो या नियमों का उल्लंघन किया हो और जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाई हो।
जब स्पीकर ऐसे सांसदों के नाम का ऐलान करते हैं, तो वह सदन के पटल पर एक प्रस्ताव रखते हैं। प्रस्ताव में हंगामा करने वाले सांसद का नाम लेते हुए उसे सस्पेंड करने की बात कही जाती है। इसमें सस्पेंशन की अवधि का जिक्र होता है। यह अवधि अधिकतम सत्र के खत्म होने तक हो सकती है। सदन चाहे तो वह किसी भी समय इस प्रस्ताव को रद्द करने का आग्रह भी कर सकता है।
सवाल 3: क्या राज्यसभा में सांसदों को निलंबित करने के नियम अलग हैं?
नहीं, कमोबेश एक जैसे हैं। लोकसभा स्पीकर की तरह राज्यसभा के सभापति की भी अपनी रूल बुक है। रूल 255 के तहत सभापति किसी भी सदस्य को जिसका व्यवहार सदन के लिए खराब हो और वह जानबूझकर कार्यवाही में बाधा डाल रहा हो, वे उसे तुरंत बाहर जाने के लिए कह सकते हैं।
रूल 256 के तहत सभापति उस सांसद का नाम दे सकते हैं, जिसने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की हो। ऐसी स्थिति में संदन उस सांसद को सस्पेंड करने के लिए प्रस्ताव ला सकता है।
सवाल 4: हमारी संसद में असंसदीय शब्दों की पहचान की शुरुआत कब हुई? अब तक कितने शब्दों को असंसदीय करार दिया गया है?
दुनिया भर की सदन डिबेट के दौरान कुछ नियम और स्टैंडर्ड अपनाती हैं। ऐसे शब्दों या फ्रेज जिनका प्रयोग सदन में करना अनुचित माना जाता है, उन्हें ही असंसदीय कहते हैं। अंग्रेजी, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में ऐसे हजारों शब्द और फ्रेज हैं, जो असंसदीय हैं। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के मुताबिक असंसदीय शब्दों की डिक्शनरी पहली बार 1954 में जारी की गई थी।
इसके बाद इसे 1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी किया गया। 2010 के बाद से इसे हर साल जारी किया जा रहा है। इस बार जारी बुकलेट में 1100 पेज हैं। ये लिस्ट लोकसभा-राज्यसभा के साथ ही विधानसभा की कार्यवाहियों के दौरान असंसदीय घोषित किए गए शब्दों को मिलाकर बनती है।
असंसदीय शब्दों की ताजा लिस्ट 2022 की है। ये लिस्ट हर साल अपडेट होती है। इस असंसदीय शब्दों की डिक्शनरी काे 1999 में पहली बार किताब की शक्ल दी गई।
सवाल 5: किसी शब्द को असंसदीय करार दिए जाने के बावजूद अगर सदन का कोई सदस्य इनका इस्तेमाल करता है तो क्या होगा?
किसी शब्द को असंसदीय करार देने और कार्यवाही से हटाने का अधिकार स्पीकर के पास होता है। लोकसभा में प्रोसीजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस रूल 380 (एक्जंपशन) के मुताबिक, यदि स्पीकर को लगता है कि किसी डिबेट में असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, तो वे उस शब्द को सदन की कार्यवाही से हटाने का आदेश दे सकते हैं।
रूल 381 के मुताबिक, सदन की कार्यवाही का जो हिस्सा हटाना होता है, उसे मार्क किया जाएगा और कार्यवाही में एक फुटनोट इस तरह से डाला जाएगा: ‘स्पीकर के आदेश पर इसे हटाया गया’।
2020 में राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से एक शब्द को राज्यसभा के आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया था। पीएम मोदी उस समय नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी NPR को लेकर बयान दे रहे थे। उस बयान के दौरान मोदी ने CAA के खिलाफ जारी प्रदर्शन को लेकर कहा था कि प्रदर्शन के नाम पर 'अराजकता' फैलाई जा रही है।
2020 में राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से एक शब्द को राज्यसभा के आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया था। पीएम मोदी उस समय नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी NPR को लेकर बयान दे रहे थे। उस बयान के दौरान मोदी ने CAA के खिलाफ जारी प्रदर्शन को लेकर कहा था कि प्रदर्शन के नाम पर 'अराजकता' फैलाई जा रही है।
सवाल 6: असंसदीय शब्दों की लेटेस्ट बुकलेट कब जारी की गई है? इनमें कौन-कौन और कितने शब्द हैं?
लोकसभा सचिवालय ने हिंदी और अंग्रेजी असंसदीय शब्दों की सूची 13 जुलाई 2022 को जारी की है। इसके मुताबिक…
हिंदी के नए असंसदीय शब्द
शकुनि, जयचंद, विनाश पुरुष, खालिस्तानी, खून से खेती, जुमलाजीवी, अनार्किस्ट, गद्दार, गिरगिट, ठग, घड़ियाली आंसू, अपमान, असत्य, भ्रष्ट, काला दिन, कालाबाजारी, खरीद-फरोख्त, दंगा, दलाल, दादागिरी, दोहरा चरित्र, बेचारा, बॉबकट, लॉलीपॉप, विश्वासघात, संविधानहीन, बहरी सरकार, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, उचक्के, अहंकार, कांव-कांव करना, काला दिन, गुंडागर्दी, गुलछर्रा, गुल खिलाना, गुंडों की सरकार, चोर-चोर मौसेरे भाई, चौकड़ी, तड़ीपार, तलवे चाटना, तानाशाह और दादागिरी।
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