युवाओं को जोड़ रहा है ‘लोकचेतना विहंगम वैदिक जन्म शताब्दी वर्ष उत्सव’, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को राजधानी लखनऊ में आयोजित ‘लोकचेतना विहंगम वैदिक जन्मशताब्दी वर्ष उत्सव’ कार्यक्रम में युवाओं और जनसामान्य को संबोधित करते हुए कहा कि यह अभियान भारतवासियों के लिए एक ऐसा अवसर लेकर आया है, जिसमें हम अपनी सनातन परंपरा, राष्ट्र के प्रति कर्तव्य और व्यक्तिगत चरित्र निर्माण को एक नई ऊर्जा से जोड़ सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी और सरकार के सहयोग से गांव-गांव, ब्लॉक-स्तर, विधानसभा क्षेत्रों और विकासखंडों तक जनचेतना को पहुंचाने का माध्यम बन रहा है। उन्होंने इसे केवल सामाजिक एकता का मंच नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता के संकल्प को मजबूत करने वाला महाअभियान बताया।

युवाओं और महिलाओं को केंद्र में रखकर जागरण की दिशा में कार्य

मुख्यमंत्री ने ‘लोकचेतना विहंगम वैदिक जन्मशताब्दी वर्ष’ के अंतर्गत ‘महिला सशक्तिकरण सम्मेलन’ को संबोधित किया। इस अवसर पर ‘लोकचेतना ज्ञान परीक्षा 2025’ के मोबाइल ऐप की लॉन्चिंग और ‘दैव तत्व’ विषयक विशेष स्मारिका का विमोचन भी हुआ।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से लोगों को समाज सुधार, राष्ट्र निर्माण और आत्मबल सृजन की दिशा में प्रेरणा मिल रही है। जब हम अपने इतिहास की ओर देखते हैं तो यह स्पष्ट होता है कि शासन व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु इसी प्रकार के अभियान समय-समय पर चलते रहे हैं।

महिलाओं की भूमिका और ऐतिहासिक दृष्टिकोण

मुख्यमंत्री ने भारतीय इतिहास में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि आज से 300 वर्ष पूर्व जब भारत को बाहरी आक्रांताओं से चुनौती मिली थी, तब भी नारी शक्ति ने स्वयं वेदों का अध्ययन कर समाज को दिशा दी। उन्होंने विक्टा, घोषा, गार्गी, मैत्रेयी और अपाला जैसी ऋषिकाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि वेदों की रचनाकार महिलाएं रही हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान भारत के नव निर्माण में भी महिलाओं और पुरुषों की भागीदारी समभाव से हो रही है, जो अपने आप में सामाजिक परिवर्तन का संकेत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न की सराहना

मुख्यमंत्री योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि आज का भारत विकास और संघर्ष दोनों को साथ लेकर चल रहा है। उन्होंने इसे ‘विकास और संघर्ष का संगम’ करार दिया। योगी ने कहा कि यह वही आंदोलन है जिसकी नींव लोकचेतना के अग्रदूत महाकुमारी विहंगम वैदिक गायकुंठबाई जी ने 300 साल पहले रखी थी।

उन्होंने कहा कि उस समय जब भारत आत्मनिर्भर नहीं था, तब उन्होंने व्यापार और सामाजिक संगठन की प्रेरणा दी थी। उन्होंने राष्ट्रधर्म के प्रचार हेतु विदेशियों द्वारा तोड़े गए मंदिरों की पुनर्प्रतिष्ठा कराई और लुकनू संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास किया।

भारतीय संस्कृति की रक्षा और सुशासन की परिकल्पना

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को वैदिक परंपराओं और चारों वेदों के बिना समझा ही नहीं जा सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि युवाओं के चरित्र निर्माण और राष्ट्र सेवा के लिए हमें ऐसा सुशासन चाहिए जो लोकचेतना को आधार बनाए।

उन्होंने कहा, "जब नागरिकों के मन में सुरक्षा का भाव होता है, तभी संघर्ष और विकास दोनों का यह मिशन आगे बढ़ सकता है।"

कार्यक्रम में अन्य गणमान्यजन उपस्थित

इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री बी.एल. संतोष, राज्य के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री भूपेंद्र चौधरी, कैबिनेट मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी, महिला और बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य, माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी, विहंगम वैदिक परंपरा से जुड़े प्रतिनिधि मनीषराज जाटव गोस्वामी समेत कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित रहे।


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